कार्य किसे कहते हैं, कार्य की परिभाषा, मात्रक, सूत्र, इकाई | Work in hindi

कार्य किसे कहते हैं, (Work in hindi). कार्य की इकाई क्या है. शून्य कार्य किसे कहते हैं. वर्क किसे कहते हैं, कार्य कितने प्रकार के होते हैं, कार्य का सूत्र. इन सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट में दिए गए हैं.

कार्य किसे कहते हैं

कार्य की परिभाषा : कार्य वह भौतिक क्रिया है, जिसमें किसी पिण्ड पर बल लगाकर उसे उसके मूल स्थान से विस्थापित किया जाता है, अर्थात वस्तु पर लगाये गए बल तथा उत्पन्न विस्थापन के अदिश गुणनफल को वस्तु पर कृत कार्य कहते है।

कार्य का सूत्र

कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन

W = F.d

कार्य का मात्रक

कार्य का SI मात्रक जूल (Joule) होता है जिसे J से प्रदर्शित किया जाता है। कार्य का एक अन्य मात्रक न्यूटन-मीटर भी है। यदि किसी वस्तु पर 1 न्यूटन बल लगाने पर बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन 1 मीटर हो तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।
CGS प्रणाली में कार्य का मात्रक अर्ग (Erg) होता है। 1 जूल = 10 अर्ग।

कार्य के लिए दो आवश्यक तत्व हैं-

1. पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल

2. पिण्ड का विस्थापन

किसी पिण्ड पर बल लगाने पर पिण्ड का विस्थापन बल की दिशा में और बल की दिशा में एक निश्चित कोण बनाते हुए भी हो सकता है। इसे विस्थापन के बल की दिशा के अनुदिश घटक Cos θ से प्रदर्शित किया जाता है। यहाँ θ बल एवं विस्थापन की दिशाओं के मध्य का कोण है।

कार्य की गणना

किसी वस्तु पर किया गया कार्य उस वस्तु पर आरोपित बल तथा बल की दिशा से किसी निश्चित कोण पर हुए विस्थापन के परिमाणों का गुणनफल होता है।

कार्य की प्रकृति

जब किसी पिण्ड पर बल लगाया जाता है तो उस बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक, ऋणात्मक अथवा शून्य हो सकता है।

1. धनात्मक कार्य (Positive Work) : यदि किसी पिण्ड पर आरोपित बल की दिशा तथा पिण्ड के विस्थापन की दिशा के मध्य न्यूनकोण (0° से अधिक परन्तु 90° से कम) हो तो किया गया कार्य धनात्मक कार्य कहलाता है।

किसी वस्तु को ऊपर उठाना, मेज पर रखी पुस्तक को खिसकाना, कुली द्वारा ट्रेन में सामान चढ़ाना आदि धनात्मक कार्य के उदाहरण हैं।

धनात्मक कार्य यह दर्शाता है कि, पिण्ड पर आरोपित बल पिण्ड की गति का समर्थन करता है अर्थात् उसकी गति में सहायक है।

कार्य का अधिकतम मान

यदि पिण्ड पर आरोपित बल तथा उसके विस्थापन की दिशाओं के मध्य 0° का कोण हो तो, किए गए कार्य का मान अधिकतम होगा।

1.ऋणात्मक कार्य (Negative Work) : यदि किसी पिण्ड पर आरोपित बल तथा पिण्ड के विस्थापन की दिशा के मध्य का कोण 90° से अधिक परन्तु 180° से कम हो तो, किया गया कार्य ऋणात्मक कार्य कहलाता है।

जब किसी गेंद को ऊपर की ओर उछाला जाता है तो उस गेंद पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की ओर लगता है जबकि गेंद का विस्थापन (गति) ऊपर की ओर होता है। इस प्रकार, गुरुत्वाकर्षण बल के सन्दर्भ में ऋणात्मक कार्य होता है।

ऋणात्मक कार्य यह दर्शाता है कि, पिण्ड पर आरोपित बल पिण्ड की गति का विरोध करता है अर्थात् उसकी गति में बाधक है।

कार्य का न्यूनतम मान

यदि पिण्ड पर आरोपित बल तथा उसके विस्थापन की दिशाओं के मध्य 180° का कोण हो तो, किए गए कार्य का मान न्यूनतम होगा।

शुन्य कार्य किसे कहते हैं

शून्य कार्य की 3 स्थितियाँ सम्भव हैं-

(i) जब विस्थापन शून्य होः यदि किसी पिण्ड पर बल आरोपित करने के बाद भी उसका विस्थापन न हो (शून्य विस्थापन) तो किया गया कार्य शून्य होगा।

(ii) जब आरोपित बल शून्य होः यदि किसी वस्तु पर शून्य बल आरोपित हो रहा हो परन्तु फिर भी उसका विस्थापन हो रहा हो तब भी किया गया कार्य शून्य होगा।

(iii) बल एवं विस्थापन की दिशाएँ परस्पर लम्बवत् हों : यदि पिण्ड पर आरोपित किए गए बल की दिशा तथा पिण्ड के विस्थापन की दिशा के मध्य 90° का कोण हो तब किया गया कार्य शून्य होता है।


3 thoughts on “कार्य किसे कहते हैं, कार्य की परिभाषा, मात्रक, सूत्र, इकाई | Work in hindi”

  1. Sir hi एकदम जहर ट्रिक बोलो या जहर पढ़ाई , एकदम मक्खन हो गया सिर जी मेरे तो , कितना अच्छे से समाज में आ गया

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  2. Sir ek request hai ki आप class 11 ke chapter 6 , 7 और 8वे के सभी टॉपिक्स के न्यूमेरिकलस करवा दीजिए इसी वेबसाइट पर , प्लीज सर

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