समुच्चयबोधक अव्यय
दो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में मिलाने वाले अव्यय शब्दों को संयोजक या योजक शब्द कहते हैं।” जैसे- माता और पिता। भाई और बहन। राजा और रंक। रात और दिन। चाय और पानी। फल और फूल आदि।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद
- समानाधिकरण समुच्चय बोधक
- व्यधिकरण समुच्चय बोधक
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जो अव्यय समान वाक्यांश, शब्द एवं वाक्यों को आपस में मिलाते हैं, उन्हें समानाधिकरण अव्यय कहते हैं।” जैसे- और, या, किन्तु आदि। रमेश या सुरेश शीला को लेने जायेंगे।
हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है।
मैंने भोजन तो कर लिया किन्तु सो न सका।
ये चार प्रकार के होते हैं-
(i) संयोजक (और, तब) – ये समान वर्ग के पद, शब्द और वाक्यों को जोड़ते हैं और व, एवं, तथा। राम, लक्ष्मण और सीता वन को गए।
(ii) विकल्पक (या, अथवा) – ये शब्दों, पद बंधों और वाक्यों में विकल्प देकर उन्हें मिलाते हैं। या, वा, अथवा
शादी में तुम जाओगे या मैं जाऊँगा।
काम तुम करोगे या काम नहीं होगा।
(iii) विरोधक दर्शक – पर, किन्तु, लेकिन, मगर आदि। राम ने चोर को पकड़ने का बहुत प्रयत्न किया किन्तु वह भाग निकला। सुरेश ने कमल को पैसा दिया, किन्तु कमल देने से मुकर गया।
(iv) परिणाम दर्शक – नहीं तो, अन्यथा, इसलिए, फलस्वरूप आदि।
(i) वर्षा इस वर्ष नहीं हुई, फलस्वरूप फलों में रस पैदा नहीं हुआ।
(ii) भोजन में नमक ज्यादा पड़ गया इसलिये बारातियों ने खाना नहीं खाया।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक
एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को प्रधान वाक्य से जोड़ने वाले अव्यय, व्यधिकरण समुच्चय बोधक कहलाते हैं।’ जैसे- यदि रवि दौड़कर आता तो बच्चे को बचा लेता। यहाँ रवि दौड़कर आता-आश्रित उपवाक्य होने के कारण बच्चे को बचा लेता। (प्रधान उपवाक्य) से जुड़ा है। ये शब्द हैं-‘यदि‘ और ‘तो‘।
भेद – व्यधिकरण समुच्चय बोधक के चार भेद हैं-
(i) कारण बोधक– क्योंकि, इसलिए, ताकि आदि।
(ii) संकेत बोधक– यदि, तो, यद्यपि….तथापि, परन्तु आदि।
(ii) स्वरूप बोधक– अर्थात, यानी, मानो।
(iv) उद्देश्य बोधक– जिससे, इसलिए आदि, जो, कि, ताकि, इसलिए।