Algae in hindi (शैवाल)
(What is Algae in hindi) शैवाल, पादप जगत के सबसे सरल स्वपोषी एवं जलीय जीव हैं। इनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है तथा ये भोज्य पदार्थों को मण्ड (Starch) के रूप में संचित करते हैं। अधिकांश शैवाल एक कोशिकीय होते हैं परन्तु कुछ शैवाल बहुकोशिकीय भी होते हैं। शैवाल अधिकांशतः नमीयुक्त स्थानों, कीचड़, ताजे जल, औसत गर्म जल स्रोतों, तालाबों, झीलों, नदियों तथा समुद्र खारे जल के समूहों में पाए जाते हैं।
शैवालों का अध्ययन फाइकोलॉजी (Phycology) के अंतर्गत किया जाता है। बर्फ पर उगने वाले शैवालों को क्रिप्टोफाइट्स (Cryptophytes) कहते हैं। चट्टानों पर उगने वाले शैवालों को लिथोफाइट्स (Lithophytes) कहते हैं।
शैवाल का वर्गीकरण Types of Algae in hindi
ब्रिटिश जीवविज्ञानी एफ. ई. फ्रिच (E.E. Fritsch) ने शैवालों में उपस्थित वर्णकों (Pigments) के गुणों, फ्लैजिला (Flagella) की संख्या तथा संचित भोज्य पदार्थ (Reserve Food Material) के आधार पर शैवालों को ग्यारह भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्न हैं
शैवाल वर्ग | सामान्य नाम | संचित भोज्य पदार्थ |
क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae) | हरे शैवाल | स्टार्च, तेल |
जैन्थोफाइसी (Xanthophyceae) | पीले-हरे शैवाल | वसा |
क्राइसोफाइसी (Chrysophyceae) | सुनहरे शैवाल | वसा |
बैसिलेरियो फाइसी (Bacillariophyceae) | पीला, स्वर्ण रंग | वसा |
क्रिप्टोफाइसी (Cryptophyceae) | विभिन्न रंग | स्टार्च |
डाइनोफाइसी (Dinophyceae) | – | स्टार्च अथवा वसा |
क्लोरोमोनाडिनी (Chloromonadineae) | – | वसा |
यूग्लीना (Euglena) | – | पॉलीसैकेराइड, स्टार्च, वसा |
फियोफाइसी (Phaeophyceae) | भूरे शैवाल | लैमिनेरिन, मैनीटोल, (पॉलीसैकेराइड) |
रोडोफाइसी (Rhodophyceae) | लाल शैवाल | फ्लोरिडीन, स्टार्च |
सायनोफाइसी अथवा मीक्सोफाइसी | नील-हरित शैवाल | सायनोफाइसीन स्टार्च अथवा मीक्जोकाइसीन स्टार्च |
शैवालों का आर्थिक महत्व (Importance of Algae in hindi)
भोजन के रूप में शैवालों का प्रयोग (Algae as Food)
- शैवालों में कार्बोहाइड्रेट, अकार्बनिक पदार्थ तथा विटामिन A, C, D, तथा E आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
- जापान में पोरफाइरा (Porphyra) तथा अल्वा (Ulva) नामक शैवाल को खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- अल्वा को समुद्री सलाद भी कहा जाता है।
- रोडोमेनिया पल्मेटा (Rhodymenia Palmata) स्कॉटलैण्ड में तम्बाकू के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- नोस्टॉक चीन में खाया जाने वाला प्रमुख शैवाल है।
- अम्बलीकस भारत तथा अन्य निकटवर्ती देशों में भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
शैवालों का विभिन्न व्यवसायों में प्रयोग
- एलीजन नामक पदार्थ शैवालों से प्राप्त किया जाता है, जो वोल्केनाइजेशन, टाइपराइटरों के रोलरों तथा अज्ज्वलनशील फिल्मों के निर्माण में महत्वपूर्ण है।
- सारगासम नामक शैवाल से जापान में कृत्रिम (Synthetic) ऊन का निर्माण किया जाता है।
- कॉन्ड्रस क्रिस्पस नामक शैवाल से श्लेष्मिक केरोगेनिन नामक पदार्थ तैयार किया जाता है, जो सौन्दर्य प्रसाधनों (Cosmetics) शैम्पू, जूतों की पॉलिश आदि में प्रयोग किया जाता है।
- लेमीनेरिया, फ्यूकस आदि शैवालों का प्रयोग आयोडीन, ब्रोमीन अम्ल, ऐसीटोन आदि बनाने में किया जाता है।
- अगार-अगार (Agar-Agar) नामक पदार्थ लाल शैवालों से प्राप्त किया जाता है, जो प्रयोगशालाओं में पौधों के संवर्द्धन, जैल, आइसक्रीम आदि में प्रयुक्त होता है। यह पदार्थ तापरोधक, ध्वनिरोधक, में कृत्रिम रेशा, चमड़ा, सूप, चटनी आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है। यह पदार्थ प्रैसीलेरिया तथा जेलेडियम नामक शैवालों से प्राप्त किया जाता है।
कृषि के लिए उपयोगी
नोस्टॉक, एनाबीना आदि शैवाल वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं। इस प्रक्रिया में जीवाणु भी भाग लेते हैं। कुछ शैवालों का प्रयोग कृषि में खाद के रूप में भी किया जाता है।
नील हरित शैवाल (Blue Green Algae) का उपयोग ऊसर भूमि (Wasteland) को उपजाऊ भूमि बनाने में किया जाता है। जैसे- FITRETCH (Nostoc)
औषधि के रूप में प्रयोग
क्लोरेलीन नामक प्रतिजैविक (Antibiotic) क्लोरेला (Chlorella) नामक शैवाल से तैयार की जाती है। यह क्रिस्टलीय होता है जो ग्राम-पॉजिटिव तथा ग्राम निगेटिव (Gram-Positive and Gram- Negative) दोनों प्रकार के जीवाणु से रक्षा करती है
कारा तथा नाइटेला शैवाल मलेरिया उन्मूलन में सहायक है।
शैवालों से हानि Disadvantage of Algae in hindi
कुछ शैवाल एल्गल ब्लूम या शैवाल प्रस्फोट के माध्यम से जलीय प्रदूषण बढ़ाते हैं, जिससे जल में उपस्थित मछलियों का जीवन संकटग्रस्त हो जाता है।
सैफेल्यूरास (Cephaleuros) नामक शैवाल के कारण चाय के पौधों पर लाल किट्ट रोग (Red rust of tea) उत्पन्न होता है। शैवाल वर्षा ऋतु में भूमि पर हरे रंग की परत बनाते हैं, जो अत्यधिक फिसलन उत्पन्न करती है।