प्रोटिस्टा क्या है | प्रोटिस्टा जगत के लक्षण | Protista kingdom in hindi

प्रोटिस्टा क्या है

प्रोटिस्टा जगत के अंतर्गत प्रारम्भिक यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किए जाते हैं, जिनकी कोशिकाओं में केन्द्रक (Nucleus) तथा झिल्ली युक्त कोशिकांग (Membrane bound Organelles) पाये जाते हैं। इन जीवों को प्रोटिस्ट (Protist) कहा जाता है। अधिकांश प्रोटिस्ट एक कोशिकीय (Unicellular) होते हैं परन्तु कुछ प्रोटिस्टा (जैसे- शैवाल) बहुकोशिकीय (Multicellular) भी होते हैं।

सरल कोशिकीय संरचना के कारण प्रोटिस्टा जगत के जीवों को पादप, जन्तु या कवक आदि वर्गों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। अधिकांश प्रोटिस्ट जल में पाए जाते हैं तथा कुछ प्रोटिस्ट आर्द्र भूमि एंव जंतुओं व पादपों के शरीर में भी पाए जाते हैं.

प्रोटिस्टा जगत का वर्गीकरण

प्रोटिस्टा जगत को निम्न तीन वर्गो में वर्गीकृत किया गया है

  1. जन्तु-सम प्रोटिस्ट
  2. पादप-सम प्रोटिस्ट
  3. कवक-सम प्रोटिस्ट

जन्तु सम प्रोटिस्ट

इन्हें प्रोटोजोआ प्रोटिस्ट भी कहा जाता है। ये एक कोशिकीय जीव हैं जिन्हें जीवन के लिए जल अथवा आर्द्र मृदा (Moist Soil) की आवश्यकता होती है। अधिकांश जन्तु-सम प्रोटिस्ट विषमपोषी (Heterotrophic) होते हैं एवं कुछ परजीवी (Parasite) भी होते हैं। उदाहरण: अमीबा, पैरामीशियम आदि।

पादप-सम प्रोटिस्ट

ये क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण करते हैं इसीलिए इन्हें प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्ट (Photosynthetic Protist) भी कहा जाता है। ये जल में रहते हैं। इनमें वास्तविक जड़, तना एवं पत्तियाँ नहीं पायी जाती हैं परन्तु संचलन के लिए इनमें कशाभिकाएँ (Flagella) पायी जाती हैं। उदाहरणः भूरे एवं नील हरित शैवाल, यूग्लीना आदि।

कवक-सम प्रोटिस्ट

ये मृत एवं अपशिष्ट पदार्थों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं इसीलिए इन्हें अपघटनी प्रोटिस्ट (Decomposer Protist) भी कहा जाता है। ये एक कोशिकीय होते हैं जिनमें कोशिका भित्ति का अभाव होता है। उदाहरण वाटर मोल्ड्स, स्लाइम मोल्ड्स आदि।

प्रोटिस्टा जगत के लक्षण

प्रोटिस्टा जगत के निम्न लक्षण हैं

कोशिका संरचना – इनके ऊपर कोशिका झिल्ली पाई जाती है तथा सेल्युलोज, प्रोटीन एवं सिलिका की बनी कोशिका भित्ति भी पाई जाती है।

कोशिकांग – इनमें झिल्लीयुक्त, कोशिकांग, 80s राइबोसोम, चलनशील अंग के लिए पक्ष्माभ तथा कशाभिका (Cilia and Flagella) पाए जाते हैं।

हरितलवक – डाइनोफ्लैजिलेट्स जैसे प्रकाश संश्लेषी जीवों में आन्तरिक थाइलेकॉइड सहित हरितलवक होता है।

प्रजनन  – इनमे लैंगिक तथा अलैंगिक  दोनों प्रकार का प्रजनन होता है।

पोषण – ये स्वपोषी तथा विषमपोषी दोनों प्रकार के होते हैं।

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