Kahani lekhan in hindi | कहानी लेखन, कहानी लेखन की विधि

Kahani lekhan in hindi

Kahani lekhan – कहानी कहना-सुनना मानव की पुरानी प्रवृत्ति है। बच्चों को कहानी सुनने का बहुत चाव होता है। दादी और नानी की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। इन कहानियों का उद्देश्य मुख्यत: मनोरंजन होता है किन्तु इनसे कुछ-न-कुछ शिक्षा भी मिलती है। जिन कहानियों में मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा हो वही कहानियाँ स्वस्थ कहानियाँ मानी जाती हैं।

आकार की दृष्टि से कहानियाँ दो प्रकार की होती हैं-कुछ कहानियाँ लम्बी होती हैं जबकि अन्य कुछ कहानियाँ छोटी। आधुनिक कहानी मूलत: छोटी होती है। उसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष का चित्र होता है।

कहानी की परिभाषा

(Hindi kahani lekhan) – कहानी की निश्चित परिभाषा देना कठिन कार्य है। कहानी के विषय में मुंशी प्रेमचन्द ने अपने विचार इस प्रकार प्रकट किए हैं-कहानी एक ऐसी रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या भाव को प्रकट करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र, शैली, कथा-विन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं।

वर्तमान कहानी की प्रमुख विशेषताएँ

(i) वर्तमान समय में मानव कहानी का मुख्य केन्द्र होता है। पूरी कहानी की रचना उसी को तथा उसके जीवन को आधार बनाकर लिखी जाती है। केवल बच्चों के लिए कहानियों में देव, दानव, पशु-पक्षी एवं मानव सभी आते हैं। श्रेष्ठ कहानी उसी को कहा जाता है जिसमें मानव जीवन की कोई समस्या या संवेदना व्यक्त होती है।

(ii) पहले मनोरंजन तथा शिक्षा कहानियों के प्रमुख तत्व थे। किन्तु वर्तमान साहित्य में इन दोनों के साथ-साथ कौतूहल तथा जिज्ञासा भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गये हैं।

(iii) आज की कहानियों में भाग्य की अपेक्षा पुरुषार्थ पर अधिक बल दिया जाता है। अतः वर्तमान कहानियों का आधार जीवन का संघर्ष है।

(iv) आज कहानी में चरित्र-चित्रण का महत्व बढ़ा है।

(v) आज घटनाओं को महत्व न देकर मानव मन के किसी एक विचार और अनुभूति को व्यक्त करना कहानी का उद्देश्य है।

(vi) वर्तमान कहानी व्यक्तिवादी है जो व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक सत्य’ का सच्चाई के साथ उद्घाटन करती है।

(vi) पहले की अपेक्षा आज की कहानी भाषा की सरलता पर अधिक बल देती है। वर्तमान समय में क्लिष्ट भाषा को कहानी की लोकप्रियता में बाधक माना जाता है।

(vii) पुरानी कहानियाँ अधिकतर सुखांत होती थी; किन्तु आज की कहानियाँ मनुष्य की दु:खांत कथा को, उसकी जीवनगत समस्याओं और अंतहीन संघर्षों को अधिक से अधिक प्रकाशित करती है।

Hindi kahani lekhan

निर्देश – सामान्यत: कहानी काल्पनिक होती है। अत: कहानी लिखने का अभ्यास करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(1) दी गई रूप रेखा अथवा संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करें।

(ii) कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार दें।

(iii) कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए जिससे पाठक का मन उसे पढ़ने में जाए।

(iv) कहानी की भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी होनी चाहिए।

(v) कहानी का शीर्षक उचित और रोचक तथा सारगर्भित होना चाहिए।

(vi) कहानी का अंत सामान्य होना चाहिए।

Kahani lekhan hindi

कहानी लेखन की विधियाँ

एक श्रेष्ठ कहानी लिखने के लिए छात्रों को पर्याप्त अभ्यास करना चाहिए। वर्तमान में छात्रों को निम्नलिखित विधियों से कहानी लिखने का अभ्यास करना चाहिए।

(i) कहानी के आधार पर कहानी लिखना।

(ii) रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखना।

(iii) अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना।

(iv) चित्रों की सहायता से कहानी पूर्ण करना।

कहानी के आधार पर कहानी लिखना

कहानी को ध्यान से पढ़कर उसकी प्रमुख बातों, घटनाओं और चरित्र अलग संकेत रूप में लिखकर यह देखा जाये कि कोई महत्वपूर्ण बात न छूटे तथा अनावश्यक तथा निरर्थक बात न आए।

(i) आरम्भ आकर्षक होना चाहिए।

(ii) संवाद डोटे हों।

(iii) कहानी का विकास क्रमिक हो।

(iv) कहानी का अंत स्वाभाविक हो।

(v) शीर्षक मूल कहानी का ही होना चाहिए।

(vi) भाषा सरल एवं सुबोध हो।

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Short kahani lekhan in hindi

उदाहरण –

महाराज मोरध्वज

हिन्दू धर्म में पुराणों का बहुत अधिक महत्व है। इनमें धर्म, नैतिकता एवं सत्यप्रियता के महत्व को सिद्ध करने वाली अनेक कहानियाँ दी गई हैं। प्रस्तुत कहानी मानव की सत्यप्रियता, अतिथि प्रेम वं असीमित त्याग भावना को व्यक्त करती है। यह द्वापर युग की घटना है। भारत में मोरध्वज नाम के एक अतिथि सत्कार की भावना से युक्त राजा राज्य करते थे। उन्हें ईश्वर में अनन्य विश्वास था।

एक बार भगवान श्रीकृष्ण साधु के रूप में राजा की परीक्षा के लिए उनके राज्य में पधारे। उनके साथ सिंह भी थे। महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण का सच्चे हृदय से सत्कार किया। समय पर भोजन के लिए आमंत्रित किए जाने पर श्रीकृष्ण ने कहा, “मेरे द्वारा पालित सिंह के भोजन की व्यवस्था होने पर ही मैं भोजन करूँगा।

उन्होंने कहा, “महाराज और महारानी अपने एकमात्र पुत्र का अर्धांश आरे से काटकर सिंह को अर्पित करें तथा उनके चेहरे पर किसी प्रकार के दुःख और निराशा का भाव नहीं आना चाहिए।” ऐसा ही किया गया। सिंह द्वारा भरपेट भोजन करने पर महाराज, महारानी तथा भगवान श्रीकृष्ण भोजन करने बैठे।

श्रीकृष्ण की आज्ञा से भोजन चार व्यक्तियों के लिए परोसा गया। महाराज ने यंत्रवत् सब कुछ किया। श्रीकृष्ण की सलाह पर महाराज ने पुत्र के नाम से उसे पुकारा। महान् आश्चर्य। पुत्र मुस्कराता हुआ आया और सबको प्रणाम करके अपने स्थान पर बैठकर भोजन करने लगा।

रूपरेखा के आधार पर कहानी

रूप-रेखा (संकेतों) के आधार पर कहानी रचना सरल और कठिन दोनों होती है। संकेतों के आधार पर कल्पना करना कठिन होता है। दूसरी ओर संकेतों से कल्पना में सरलता का अनुभव होता है। इसके लिए छात्र में संवेदना एवं कल्पना शक्ति होनी चाहिए।

अधूरी या अपूर्ण कहानी

kahani lekhan – छात्रों की अपनी कल्पनाशक्ति जाग्रत करने के लिए अपूर्ण या अधूरी कहानी पूर्ण करने का भी अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए अपूर्ण कहानी को ध्यान से पढ़कर उसके क्रमों को समझाया जाए तथा उनमें पारस्परिक सम्बन्धों के तथा कल्पना के आधार पर कहानी को पूर्ण करने का अभ्यास कराया जाए।

उदाहरण – कौए ने गाना सुनाने के लिए ज्यों ही अपनी चोंच खोली, रोटी का टुकड़ा उसके मुँह से गिर गया। रोटी का टुकड़ा लेकर लोमड़ी हँस-हँस कर खाने लगी और कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा। अगर कौआ माँस का टुकड़ा ले आए तो लोमड़ी क्या करेगी।

उत्तर – एक बार लोमड़ी ने कौए को मूर्ख बनाकर रोटी तो प्राप्त कर ली किन्तु कौआ भी चालाक था और दोबारा मूर्ख बनने को तैयार नहीं था। उधर लोमड़ी भी कौए को फिर से मूर्ख बनाने का उपाय सोचने लगी।

मूल शब्द, उपसर्ग, प्रत्यय 

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