मानव उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं, उत्सर्जन के प्रकार, चित्र

उत्सर्जन किसे कहते हैं

प्राणियों द्वारा शरीर में निर्मित हानिकारक एवं विषैले अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से विसर्जित करने की जैविक प्रक्रिया उत्सर्जन (Excretion) कहलाती है। शरीर की कोशिकाओं से उपापचय (Metabolism) के फलस्वरूप शरीर में एकत्रित जटिल यौगिकों (अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि) का विघटन होता है और कुछ अपशिष्ट पदार्थों (Waste Products) का निर्माण होता है। जिसे उत्सर्जी पदार्थ (Excretory Substances) कहते हैं।

उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं

उत्सर्जी पदार्थों का लम्बे समय तक शरीर में रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसलिए शरीर विभिन्न अंग समूहों के माध्यम से इन पदार्थों का शरीर के बाहर विसर्जन कर देता है। इस प्रक्रिया में शामिल अंग समूहों को सामूहिक रूप से उत्सर्जन तंत्र (Excretory System) कहते हैं।

उत्सर्जी पदार्थों का वर्गीकरण

प्राणियों के उत्सर्जी पदार्थों में उपस्थित तत्वों के आधार पर उत्सर्जी पदार्थों को दो भागों में विभाजित किया गया है

1. कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थ

2. नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ

कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थ

कार्बनिक उत्सर्जी पदार्थों में मुख्यतः कार्बन डाई आक्साइड गैस आती है जिसकी प्रकृति अम्लीय होती है। इन पदार्थों के कोशिकाओं में अधिक समय तक रहने के फलस्वरूप अम्ल निर्माण के कारण कोशिकाओं की क्षति होती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस श्वसन क्रिया में निर्मित होती है श्वसन तंत्र के माध्यम से इसे शरीर से बाहर निकाला जाता है।

नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ

जीव जन्तुओं के द्वारा उत्सर्जित होने वाले नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों में मुख्यतः अमोनिया, यूरिया व यूरिक अम्ल पाए जाते हैं। इसमें अमोनिया सबसे अधिक विषैला पदार्थ है, जिसके उत्सर्जन के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती है। जबकि यूरिक अम्ल अपेक्षाकृत कम विषैला पदार्थ है तथा इसके उत्सर्जन के लिए कम जल की आवश्यकता होती है।

उत्सर्जन तंत्र के प्रकार

विभिन्न प्राणियों के उत्सर्जन तंत्र द्वारा उत्सर्जित किए जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों के आधार पर उत्सर्जन के तीन प्रकार होते हैं

  1. अमोनिया उत्सर्जन
  2. यूरिया उत्सर्जन
  3. यूरिक अम्ल उत्सर्जन

अमोनिया उत्सर्जन (Ammonotelism)

अधिकांश अस्थिल मछलियाँ (Bony Fish), टैडपोल एवं जलीय कीट नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का अमोनिया के रूप में उत्सर्जन करते हैं। उनकी इस प्रकृति को अमोनिया उत्सर्जीकरण कहते हैं। अमोनिया के अणु जल में शीघ्रता से घुल जाते हैं, इसलिए वे आसानी से झिल्ली अवरोधकों को पार कर लेते हैं।

कोमल शरीर वाले अकशेरुकी प्राणियों में अमोनिया शरीर की संपूर्ण सतह से निकलकर चारों ओर स्थित जल में घुल जाती है।मछलियों में अमोनिया का उत्सर्जन क्लोम (Gill) के द्वारा होता है। अमोनिया के उत्सर्जन में वृक्क की भूमिका बहुत कम होती है।

यूरिया उत्सर्जन (Ureotelism)

वह जन्तु जिनमें शुष्कन (Dehydration) की आशंका बनी रहती है तथा स्थलीय आवास में अनुकूलन के लिए जल की हानि से बचने के लिए जन्तु कम विषैले नाइट्रोजन अपशिष्ट पदार्थ यूरिया का उत्सर्जन करते है।

  • कोशिकाओं के लिए अमोनिया अत्यंत हानिकारक होती है, जबकि कोशिकाएँ यूरिया की अति सांद्रता को सहन कर सकती हैं, क्योंकि यूरिया, अमोनिया की अपेक्षा लगभग एक लाख गुना कम हानिकारक होता है।
  • स्तनधारी व अधिकांश वयस्क उभयचर, जो कि स्थलीय हैं तथा अनेक समुद्री मछलियाँ व कछुए, जो कि अधिपरासरणी वातावरण में जल संरक्षण की समस्या का सामना करते हैं, वे यूरिया का उत्सर्जन करते हैं।
  • यकृत में यूरिया का निर्माण एक उपापचयी चक्र (यूरिया चक्र या ऑर्निथीन चक्र) के द्वारा होता है। जिसमें अमोनिया व कार्बन डाइऑक्साइड मिलकर यूरिया का निर्माण करते हैं। परिसंचरण तंत्र के द्वारा यूरिया को वृक्कों तक पहुँचाया जाता है, जहाँ से इसका उत्सर्जन होता है।

यूरिक अम्ल उत्सर्जन (Uricotelism)

कुछ स्थलीय जंतुओं में नाइट्रोजन उपापचय के द्वारा निर्मित नाइट्रोजन युक्त यूरिक अम्ल का उत्सर्जन होता है। यह अम्ल जंतुओं में जल की न्यूनतम मात्रा का ह्रास होने देता है।

यूरिक अम्ल की जल में विलेयता अमोनिया व यूरिया की तुलना में अत्यन्त कम होती है इसलिए इसका उत्सर्जन एक ठोस अपशिष्ट के रूप में होता है। स्थलीय घोंघा, कीट-पतंगे, पक्षी व अनेक सरीसृप यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करते हैं

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