वसा क्या है , वसा के प्रकार, वसा के कार्य | Vasa in hindi

संतृप्त वसा क्या है. वसा का मुख्य कार्य क्या है , वसा के मूल स्रोत क्या है, वसायुक्त भोजन क्या है, वसा की कमी से होने वाले रोग. सबसे ज्यादा वसा किसमें पाया जाता है. क्या किसी खाद्य वस्तु में वसा का परीक्षण किया जा सकता है, यदि हां तो कैसे. वसा के स्रोत एवं वसा के कार्य लिखिए.

वसा क्या है (Vasa in hindi)

उच्च वसीय अम्लों अर्थात् कार्बोक्सिलिक अम्लों एवं ग्लिसरॉल (CHO) की अभिक्रिया से उत्पन्न एस्टर यौगिक (Esters) तेल अथवा वसा कहलाते हैं। तेल एवं वसा निर्माण की यह प्रक्रिया एस्टरीकरण (Esterification) कहलाती है।

तेल एवं वसा दोनों का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन तत्वों से होता है। ये दोनों पदार्थ लम्बी श्रृंखला वाले वसीय अम्ल हैं, जो मानव शरीर के लिए पोषक तत्व के रूप में महत्वपूर्ण हैं। इनके नियंत्रित सेवन से शरीर की ऊर्जा एवं प्रतिरक्षा शक्ति (Immunity) में वृद्धि होती है।

वसा की कमी से होने वाले रोग

वसा की कमी से शारीरिक भार में कमी, कमजोरी, कब्ज आदि बीमारियाँ होने लगती हैं।

वसा के प्रकार

वसा मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

(1) संतृप्त वसाएँ (Saturated Fats)

(2) असंतृप्त वसाएँ (Unsaturated Fats)

संतृप्त वसाएँ (Saturated Fats)

वे वसाएँ, जिनकी रासायनिक संरचना में सभी कार्बन परमाणु एकल आबंध (Single Bond) द्वारा संयोजित होते हैं, संतृप्त वसाएँ कहलाती हैं। अधिकांश जंतु वसाएँ संतृप्त वसाएँ होती हैं। ये वसाएँ सामान्य ताप पर ठोस होती हैं। इन वसाओं का क्वथनांक (Boiling Point) उच्च होता है।

संतृप्त वसाओं के मुख्य स्रोत : मांस (मुख्यतः लाल मांस), दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद (मक्खन, मलाई, दही आदि), सेंके हुए (Baked) खाद्य पदार्थ (बिस्कुट, पेस्ट्री, केक आदि), नारियल एवं ताड़ का तेल आदि।

असंतृप्त वसाएँ (Unsaturated Fats)

ऐसी वसाएँ, जिनकी रासायनिक संरचना में कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला में कम से कम एक द्विआबंध (Double Bond) उपस्थित होता है, असंतृप्त वसाएँ कहलाती हैं। ये वसाएँ सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में होती हैं।

अधिकांश वनस्पति तेल असंतृप्त वसाएँ होती हैं, परन्तु नारियल तेल (Coconut Oil), ताड़ का तेल (Palmkernel Oil) आदि में संतृप्त वसाएँ पायी जाती हैं।

असंतृप्त वसाओं के मुख्य स्रोत : वनस्पति तेल (जैतून, सूरजमुखी, मूंगफली आदि का तेल) बादाम, अखरोट, काजू, , मूंगफली, मैकाडोमिया नट्स, एवोकाडो, तैलीय मछलियाँ (सैलमॉन, मैकेरेल, हेरिंग) आदि।

वसाओं से सम्बंधित रासायनिक अभिक्रियाएँ

तेल एवं वसाओं के प्रयोग से दो महत्वपूर्ण रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं, जो निम्नवत् हैं-

(i) साबुनीकरण (Saponification) : क्षार (NaOH अथवा KOH) की उपस्थिति में तेल एवं वसा का जल अपघटन (Hydrolysis) करने पर ग्लिसरॉल एवं साबुन का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया साबुनीकरण कहलाती है।

(ii) हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) : द्रव वनस्पति तेलों में उच्च ताप एवं दाब पर हाइड्रोजन मिलाने पर ये ठोस वसाओं में परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया हाइड्रोजनीकरण कहलाती है। वनस्पति तेलों से वनस्पति घी का निर्माण इसी विधि से किया जाता है।

ट्रांस फैट (Trans Fat)

यदि हाइड्रोजनीकरण आंशिक रूप (Partially) से हो तो प्राप्त वसा ट्रांस फैट कहलाती है। तले हुए एवं सेंके हुए खाद्य पदार्थ, अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ पैस्ट्री, केक एवं आइसक्रीम आदि ट्रांस फैट के प्रमुख स्रोत हैं।

ट्रांस फैट का उपभोग मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि यह शरीर में कम घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (Low-density Lipoprotein-LDL) अर्थात् बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholestrol) के स्तर में वृद्धि करता है तथा उच्च घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (High-density Lipoprotein-HDL) अर्थात् गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholestrol) के स्तर में कमी करता है।

वसा के मुख्य बिंदु

1. वसा ऐसा तैलीय पदार्थ है, जो जन्तुओं की त्वचा के नीचे अंगों के चारों ओर पाया जाता है।

2. वसा मुख्यतः संतृप्त वसीय अम्लों (Saturated Fatty Acids) से निर्मित होती है।

3. वसाएँ सामान्य ताप पर ठोस अवस्था में होती हैं।

4. वसाओं का मुख्य स्रोत जन्तु हैं।

5. वसा मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- ट्रांस वसाएँ (Trans Fats) तथा संतृप्त वसाएँ (Saturated Fats)।

6. वसाओं के उपभोग से हृदय सम्बंधी रोगों का खतरा बढ़ता है।

7. वसाओं के उदाहरण : घी (Ghee), मक्खन (Butter), मलाई (Cream), मांस (Meat), चरबी (Lard) आदि।

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