संज्ञा किसे कहते हैं, संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के भेद,| Sangya

Sangya kise kahate hain – आज हम जानेंगे की संज्ञा किसे कहते हैं, संज्ञा के कितने प्रकार के होते हैं इसके उदाहरण सहित pdf. साथ ही संज्ञा के हर एक प्रकार का विस्तार पूर्वक अध्यन करेंगे. जैसे – व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं. संज्ञा किसे कहते हैं class 1. जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं. इनके साथ-साथ द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं तथा  भाववाचक संज्ञा के बारे में भी हमने बताया है.

संज्ञा किसे कहते हैं

संज्ञा की परिभाषा – “विकारी शब्द जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव तथा प्राणी तथा स्थान आदि का (नाम का) ज्ञान होता है, उसे संज्ञा कहते हैं। संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है – सम् + ज्ञा अर्थात् सही ज्ञान कराने वाला। संज्ञा का दूसरा पर्याय है – नाम। ” इसका अर्थ वाणी अथवा पदार्थ के साथ उसके धर्म को प्रकट करना भी है। अतः वस्तु’ शब्द में प्राणी, पदार्थ तथा धर्म भी सम्मिलित हैं।

संज्ञा भाषा का एक अभिन्न अंग है। संज्ञा शब्दों के बिना भाषा अपूर्ण है। जब हम कोई बात करते हैं, कहते हैं या पूछते हैं तो संज्ञा शब्द अवश्य आते हैं। जैसे
(i) श्याम आजकल जर्मनी में है।
(ii) गोदान प्रेमचन्द का प्रसिद्ध उपन्यास है।
(iii) गाय एक उपयोगी पशु है।

संज्ञा के भेद

व्याकरणों में संज्ञा के भेदों के सम्बन्ध में विवाद होने पर भी बहुमत, संज्ञा के 5 भेदों पर एकमत हैं। अर्थात संज्ञा के पांच भेद होते हैं.

  1. जातिवाचक संज्ञा 
  2. व्यक्तिवाचक संज्ञा 
  3. गुणवाचक संज्ञा 
  4. भाववाचक संज्ञा 
  5. द्रव्यवाचक संज्ञा 

जातिवाचक संज्ञा

जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं – जिन संज्ञा शब्दों से एक ही प्रकार की सभी वस्तुओं अथवा व्यक्तियों का ज्ञान होता है, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। ” जैसे – मनुष्य, पर्वत, झोंपड़ी, नदी, देश, घर, आभूषण इत्यादि।
मनुष्य का अर्थ सभी मनुष्य, पर्वत‘ से अर्थ सभी पर्वत, नदी से अर्थ सभी नदियाँ। जातिवाचक संज्ञाएँ निम्न दशाओं में होती हैं-

(i) सम्बन्धी पद, व्यवसाय एवं कार्यों के नाम – भाई, चाचा, मंत्री, इंजीनियर, डाकिया, बढ़ई, प्रोफेसर, डाकू आदि।

(ii) पशु-पक्षी के नाम – कुत्ता, भैंस, कोयल, चील, गिद्ध, भालू, हिरन, हंस आदि।

(iii) वस्तु – पुस्तक, मेज, घड़ी, पैन आदि।

(iv) प्राकृतिक तत्व – आँधी, बिजली, तूफान, वर्षा, आग, भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी आदि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा

व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु तथा प्राणी आदि का बोध कराते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। या  “जिस शब्द से किसी विशेष वस्तु या व्यक्ति का ज्ञान हो, उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं।” जैसे-श्याम, सुभाष, यमुना, सिन्धु, मथुरा तथा हरिद्वार आदि।

यहाँ श्याम तथा सुभाष से व्यक्ति, यमुना और सिन्धु से नदी तथा मथुरा और प्रयाग से स्थान आदि का बोध होता है।

(i) व्यक्तियों के नाम – भारत, हरि, अशोक, कबीर, ऋषिका।

(ii) दिशाओं के नाम – उत्तर, दक्षिण, पूरब तथा पश्चिम।

(iii) देशों के नाम – चीन, अमेरिका, रूस, जर्मनी पाकिस्तान आदि।

(iv) राष्ट्रीय जातियाँ – रूसी, अमेरिकी, पाकिस्तानी तथा चीनी, अफगानी, मंगोल – आदि।

(v) समुद्रों के नाम – अरब सागर, काला सागर, कैस्पियन सागर तथा प्रशांत महासागर – आदि।

(vi) पर्वतों के नाम – हिमालय, विन्ध्याचल, कराकोरम, आल्प्स आदि।

(vii) नगर तथा चौराहों के नाम – दिल्ली, आगरा, चाँदनी चौक, हरीपर्वत।

(viii) पुस्तक तथा समाचार पत्र – रामचरित मानस, महाभारत, कामायनी, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, अमर उजाला, टाइम्स ऑफ इण्डिया आदि।

(ix) ऐतिहासिक युद्ध – पानीपत का पहला युद्ध, स्वतंत्रता का पहला युद्ध, प्रथम विश्वयुद्ध, रूसी क्रांति आदि।

(x) महीने तथा दिन – जनवरी, नवम्बर, मार्च, सोम, शुक्र, मंगल आदि।

(xi) त्यौहार तथा उत्सव – होली, दीपावली, रक्षाबंधन, क्रिसमस, ओणम, वैशाखी।

भाववाचक संज्ञा

भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं – जिन शब्दों से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का ज्ञान होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – अच्छाई, उदारता, दुष्टता, स्वतंत्रता, बुढ़ापा, बचपन, अनुशासनहीनता, उग्रता, मिठास आदि।

हर पदार्थ का गुण होता है जैसे – पानी का शीतलता, आग में गर्मी, मानव में करुणा, दरिंदों की बर्बरता आदि का ज्ञान होना आवश्यक है। इस संज्ञा का अनुभव केवल इन्द्रियों के द्वारा होता है।

भाववाचक संज्ञा का निर्माण जातिवाचक सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय में प्रत्यय के प्रयोग से होता है। उदाहरण

(क) जातिवाचक – बच्चा-बचपन, जवान-जवानी, स्वामी-स्वामित्व, मूर्ख-मूर्खता, शत्रु-शत्रुता आदि।

(ख) विशेषण – सर्द-सर्दी, कठोर-कठोरता, सौम्य-सौम्यता, कोमल-कोमलता, कमजोर-कमजोरी, बुद्धिमान-बुद्धिमानी, विधवा-वैधव्य।

(ग) क्रिया – पीटना-पिटाई, उतरना-उतराई, खिसियाना-खिसियाहट, जलाना-जलन आदि।

(घ) सर्वनाम से – अपना-अपनापन, अपनत्व, मम-ममता, ममत्व, निज-निजत्व।

(ङ) अव्यय – निकट-निकटता, आपस-आपसी आदि।

समूह वाचक संज्ञा

समूह वाचक संज्ञा किसे कहते हैं – “जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तुओं के समूह का ज्ञान होता है, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – व्यक्तियों के समूह का नाम समिति, कक्ष, दल, परिषद, आदि। वस्तु-गुच्छा, कुंज, मण्डल आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा

द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं – “जिस संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तुओं का ज्ञान होता है? उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

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संज्ञाओं का प्रयोग

कभी-कभी संज्ञाओं के प्रयोग में उलट-पुलट फेर भी हो जाते हैं –

जातिवाचक – व्यक्तिवाचक : कभी-कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में होता है। जैसे – पुरी-द्वारिकापुरी, देवी-काली, दाऊ से बलदाऊ (बल्देव) तथा संवत् से शक-संवत् तथा भारतेन्दु‘ से बाबू हरिश्चन्द्र तथा गोस्वामी‘ से गोस्वामी तुलसीदास आदि। बहुत सी योगारूढ़ संज्ञाएँ जातिवाचक होते हुए भी व्यक्तिवाचक रूप में की जाती है। जैसे – गणेश, हनुमान, हिमालय तथा गोपाल आदि।

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व्यक्तिवाचक – जातिवाचक : कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा (अनेक वस्तु) के रूप में किया जाता है। ऐसा किसी व्यक्ति द्वारा असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए होता है। जैसे – ‘गाँधी’ अपने समय के चाणक्य थे। ‘राधा’ हमारे घर की लक्ष्मी है। वह कलियुग का भीम है। इन जयचंदों के कारण देश गुलाम हुआ। अपने घर के विभीषणों से बचो।

भाववाचक – जातिवाचक : कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में भी होता है। जैसे – ये सब कैसे अच्छे पहनावे हैं। जाने कब हम दोनों के बीच दूरियाँ उत्पन्न हो गईं।

संज्ञा के रूपांतर

(लिंग, वचन तथा कारक से सम्बन्ध) – संज्ञा एक विकारी शब्द है। यह परिवर्तन शब्द रूपों को परिवर्तित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्गों) के कारण बदलते हैं।

लिंग के अनुसार

पुरुष भोजन करता है।
महिला भोजन करती है।

यहाँ पुरुष तथा स्त्रीलिंग में कर्ता होने से लिंग होने से उनकी क्रिया का निर्धारण होता है।

वचन के अनुसार 

लड़का चाय पीता है। बहुत से लड़के चाय पीते हैं।
लड़की चाय पीती है। लड़कियाँ चाय पीती हैं।
महिला खाना पकाती हैं। महिलाएँ खाना पकाती हैं।
इन वाक्यों में लड़का एकवचन तथा लड़के बहुवचन हैं। लड़की एकवचन तथा लड़कियाँ बहुवचन हैं। महिला-एकवचन तथा महिलाएँ बहुवचन। यहाँ रूपांतर का आधार वचन है।

कारक चिह्नों के अनुसार

पुरुष खाना खाता है पुरुष ने खाना खाया।
लड़की फल खाती है लड़कियों ने फल खाया।
इन वाक्यों में पुरुष पुल्लिंग, एकवचन है तथा लड़के ने खाना खाया – यहाँ भी वाक्य में लड़का पुल्लिग तथा एकवचन है। इसके बाद भी दोनों वाक्यों में भेद है। इस रूपांतर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ का प्रयोग है। इससे ‘एकवचन‘ होने पर भी लड़के’ के स्थान पर ‘लड़के ने’ हो गया। अतः संज्ञा (कर्ता) का प्रयोग कारक चिह्न’ सहित’ तथा ‘रहित’ दोनों ही रूप में हो सकता है। इस प्रकार संज्ञा का प्रयोग एक तथा दो वचन, दोनों ही दशा में होता है।
उदाहरण – कारक चिह्न रहित – पुरुष खेलते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना पकाती हैं। (बहुवचन)
कारक चिह्नों के साथ – पुरुष खेलते हैं।
लड़कियों ने खाना पकाया।
लड़को से पता करो।
लड़कियों से पता करो।
अतः स्पष्ट है कि संज्ञा का रूपांतर लिंग, वचन तथा कारक के अनुसार होता है।

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