माइकोप्लाजमा (Mycoplasma) क्या होते हैं, माइकोप्लाजमा के लक्षण
माइकोप्लाज्मा (mycoplasma) ऐसे आभासीय सूक्ष्मजीव (pseudo microorganism) हैं जिनमें कोशिका-भित्ति (cell wall) नहीं पाई जाती। ये सबसे छोटी जीवित कोशिकाएँ होती हैं जो ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकती हैं। सर्वप्रथम पाश्चर (Pasteur) नामक वैज्ञानिक ने पशुओं में प्लूरोनिमोनिया रोगकारक के रूप में इनकी खोज की, इसलिए इन्हें प्लूरोनिमोनिया सदृश्य जीव (Pleuro-Pneumonia Like Organism=PPLO) कहा जाता है।
सन् 1898 में फ्रांस के वैज्ञानिक नोकार्ड एवं रौक्स (Nocard and Roux) ने इन्हें संवर्धन माध्यम में उगाया। इनकी कोशिकाएँ, गोलाकार, तन्तुवत, तारककाय प्रकार की होती हैं और ये अपने रूप को बदलते रहते हैं। इसी कारण इन्हें बहुरूपी जीव (polymorphic organism) कहते हैं
माइकोप्लाजमा के लक्षण (Characters of Mycoplasma)
माइकोप्लाजमा की कोशिका का निर्धारित आकार नहीं होता है।
- ये एककोशिकीय (unicellular), प्रोकैरियोटिक (prokaryotic), गोलाकार अथवा अण्डाकार होते हैं।
- इनका रूप प्रायः कई प्रकार का होता है जो संवर्धन माध्यम के अनुसार बदलता रहता है।
- ये जन्तुओं तथा पौधों में परजीवी के रूप में होते हैं।
- इनका आकार 100-500 nm तक होता है इन्हें जीवाणु फिल्टर से नहीं छाना जा सकता.
- इनमें कोशिका-भित्ति (cell wall) का अभाव होता है, इनका कोशिकाद्रव्य लाइपोप्रोटीन कला (lypoprotein
Embrane) एकक झिल्ली से घिरा होता है। - इनमें DNA व RNA पाया जाता है।
- इनमें राइबोसोम उपस्थित होता है जो जीवाणु जैसा 70S प्रकार का होता है.
- इनकी कोशिका पेनिसिलिन प्रतिजैविक (penicillin antibiotic) से प्रभावित नहीं होती है।
- इनकी कोशिका टेट्रासाइक्लीन प्रतिजैविक से प्रभावित होती है। ये ग्रैम-अग्राही (G) होते हैं।