आवर्त गति, सरल आवर्त गति किसे कहते हैं तथा इन दोनों में अंतर

आवर्त गति के उदाहरण. सरल आवर्त गति किसे कहते हैं. सरल आवर्त गति में स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा की व्याख्या कीजिए. सरल आवर्त गति का सूत्र. सरल आवर्त गति संरक्षण पर आधारित है. दोलन गति.

आवर्त गति किसे कहते हैं

आवर्त गति – जब किसी गतिमान पिण्ड द्वारा एक ही पथ में एक निश्चित समयान्तराल में अपनी गति की पुनरावृत्ति की जाती है, तो इसे आवर्ती गति कहा जाता है। आवर्ती गति करने वाले पिण्ड द्वारा अपने पथ पर स्थित किसी बिन्दु से प्रारम्भ होकर पुनः उसी बिन्दु तक पहुँचने में लगा समय उसका समयान्तराल अथवा आवर्तकाल (Time Period) कहलाता है।

आवर्त गति के उदाहरण

(i) घड़ी की विभिन्न सुइयों द्वारा की जाने वाली गति आवर्ती गति का सर्वाधिक सामान्य उदाहरण है। इसमें सेकण्ड वाली सुई 1 मिनट (60 सेकण्ड्स) में, मिनट वाली सुई 1 घण्टे (60 मिनट) में तथा घण्टे वाली सुई 12 घण्टों में अपनी गति की पुनरावृत्ति करती है।

(ii) पृथ्वी की घूर्णन गति तथा सूर्य के चारों ओर की जाने वाली परिभ्रमण गति दोनों ही आवर्ती गतियाँ हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति का आवर्तकाल 24 घण्टे है, जबकि परिक्रमण गति का आवर्तकाल 1 वर्ष (लगभग 365 दिन) होता है।

सरल आवर्त गति किसे कहते हैं

सरल आवर्त गति – जब कोई पिण्ड, एक सरल रेखा में आगे-पीछे गति करता है तो इस गति को सरल आवर्त गति कहा जाता है। घड़ी के लोलक (Pendulum) द्वारा की जाने वाली दोलन गति सरल आवर्त गति का उदाहरण है।

सरल आवर्त गति किसे कहते हैं

सरल आवर्त गति से सम्बंधित संकल्पनाएँ

साम्यावस्था अथवा माध्य स्थिति : जब कोई कण अथवा पिण्ड किसी बाह्य बल के प्रभाव से मुक्त होता है और अपनी सामान्य अवस्था में होता है, तो यह स्थिति उसकी साम्यावस्था अथवा माध्य स्थिति कहलाती है।

आवर्त गति तथा सरल आवर्त गति में अंतर

आवर्ती गति में पिण्ड का विस्थापन पुनर्स्थापना बल (Restoring Force) की दिशा में भी हो सकता है और इससे भिन्न दिशा में भी जबकि सरल आवर्त गति में पिण्ड का विस्थापन सदैव पुनर्स्थापना बल की विपरीत दिशा में होता है।

आवर्त गति दोलनी (Oscillatory) भी हो सकती है और नहीं भी हो सकती जबकि सरल आवर्त गति सदैव दोलनी होती है।

आवर्तकाल किसे कहते हैं

आवर्त काल – किसी कण अथवा पिण्ड द्वारा अपना एक दोलन पूर्ण करने में लगने वाला समय उसका आवर्तकाल कहलाता है। सरल आवर्त गति में आवर्तकाल वह न्यूनतम समय है, जिसके पश्चात् गतिमान कण अथवा पिण्ड अपनी गति की पुनरावृत्ति करता है।

आवृत्ति किसे कहते हैं

आवृति – इकाई समय (1 सेकण्ड) में किसी कण अथवा पिण्ड द्वारा किए जाने वाले दोलनों की संख्या सरल आवर्त गति की आवृत्ति कहलाती है। आवृत्ति का मात्रक हर्ट्ज (Hertz) है, जिसे चक्रण प्रति सेकण्ड (Revolution Per Second- R.P.S.) द्वारा भी व्यक्त किया जाता है।

कला किसे कहते हैं

कला – सरल आवर्त गति के दौरान किसी निश्चित समय पर कण (अथव पिण्ड) के विस्थापन का परिमाण (Magnitude) तथा उसकी दिशा (Direction) कण की कला को प्रदर्शित करते हैं। गति प्रारम्भ करने के पहले कण की प्रारम्भिक कला (Initial Phase) को इपॉक (Epoch) कहते हैं।

सरल रेखीय गति किसे कहते हैं,

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