हास्य रस का उदाहरण | हास्य रस की परिभाषा

हास्य रस का उदाहरण  | हास्य रस का स्थायी भाव क्या है | हास्य रस के सरल उदाहरण| हास्य रस के 6 उदाहरण| हास्य रस के कवि| हास्य रस और करुण रस की परिभाषा उदाहरण सहित.

हास्य रस की परिभाषा

हास्य रस : अपने अथवा पराये परिधान, वचन अथवा क्रिया-कलाप आदि से उत्पन्न हुआ हास नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से हास्य रस की उत्पति होती है.

हास्य रस के कवि

हास्य के प्रचलित कवि काका हाथरसी, अशोक चक्रधर, हुल्लड़ मुरादाबादी प्रसिद्ध हैं।

हास्य रस का उदाहरण

मातहिं पितहिं उरिन भये नीके।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के॥

परशुराम-लक्ष्मण संवाद में लक्ष्मण की यह हास्यमय उक्ति है। हास्य इसका स्थायी भाव है। परशुराम आलम्बन हैं। उनकी झुंझलाहट उद्दीपन है। हर्ष, चपलता आदि संचारी भाव हैं। इन सबसे पुष्ट हास स्थायी हास्य रस दशा को प्राप्त हुआ है।

हास्य रस के 6 उदाहरण

उदाहरण  1. 

  सखि। बात सुनों इक मोहन की,   
निकसी मटुकी सिर रीती ले कै।
पुनि बाँधि लयो सु नये नतना
रु कहूँ-कहुँ बुन्द करीं छल कै॥
निकसी उहि गैल हुते जहाँ मोहन,
लीनी उतारि तबै चल कै।
पतुकी धरि स्याय खिसाय रहे,
उत ग्वारि हँसी मुख आँचल कै॥
उदाहरण  2.
    तेहि समाज बैठे मुनि जाई। हृदय रूप-अहमिति अधिकाई॥
तहँ बैठे महेस-गन दोऊ। विप्र-बेस गति लखइ न कोऊ॥
सखी संग दै कुँवर तब चलि जनु राज-मराल।
देखत फिरइ महीप सब कर-सरोज जय-माल॥
जेहि दिसि नारद बैठे फूली। सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली॥
पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं।
देखि दसा हर-गन मुसकाहीं॥
उदाहरण  3.
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।
उदाहरण  4.
मतहिं पितहिं उरिन भये नीके।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के।।
उदाहरण  5.
बिन्ध्य के बासी उदासी तपो ब्रतधारि महा बिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिबृन्द सुखारे॥
ढहैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायक जू ! करुना करि कानन को पगु धारे॥
उदाहरण  6.

लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष सनाना
का छति लाभु जून धनु तोरे।  रेखा राम नयन के शोरे। ।

उपर्युक्त प्रसंग सीता स्वयंवर का है , जब राम धनुष भंग करते हैं वहां परशुराम क्रोध में धनुष भंग करने वाले को मृत्यु दंड देने के लिए प्रस्तुत होते हैं। वहां लक्ष्मण हंसते हुए कहते हैं यह धनुष आपके लिए विशेष होगा , किंतु क्षत्रियों के लिए सभी धनुष एक समान होते हैं।

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