प्रोटोजोआ किसे कहते हैं , चित्र, संरचना | Protozoa in hindi

प्रोटोजोआ किसे कहते हैं

Protozoa in hindi – प्रोटोजोआ शब्द Protos (प्रारम्भिक) तथा Zoan (जन्तु) नामक दो शब्दों का संयुक्त रूप है। प्रोटोजोआ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1818 ई. में जर्मन जीवविज्ञानी जॉर्ज आगस्ट गोल्डकस द्वारा प्रयोग किया गया था। प्रोटोजोआ वर्ग के कुछ जीव प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) करने में सक्षम होते हैं, इसलिए उन्हें प्रोटोफाइटा (Protophyta) अर्थात प्रारम्भिक पादप भी कहा जाता है।

प्रोटोजोआ जन्तु लगभग सभी प्रकार के पर्यावासों में स्वतंत्रजीवी, सहजीवी (Symbiotic), परजीवी (Parasite) तथा सहभोजी (Commensal) के रूप में पाए जाते हैं। प्रोटोजोआ किसे कहते हैं.

प्रोटोजोआ का चित्र

प्रोटोजोआ का चित्र

प्रोटोजोआ जीवों में पोषण

सामान्यतः सभी प्रोटोजोआ जीव विषमपोषी (Heterotrops) होते हैं, जो अन्य सूक्ष्म जीवों का शिकार करके अथवा परजीवी के रूप में अपना पोषण प्राप्त करते हैं। अर्थात् प्रोटोजोआ जन्तु या तो किसी अन्य सूक्ष्मजीव को सम्पूर्ण रूप से निगल लेते हैं या उनके जैविक अवशिष्ट पदार्थों को ग्रहण करते हैं।

प्रोटोजोआ जीवों में संचलन

प्रोटोजोआ जीव कूटपाद (Pseudopodia), कशाभिका (Flagella) अथवा पक्ष्माभिका (Cillia) नामक रेशेनुमा संरचनाओं की सहायता से संचलन या गमन करते हैं।

प्रोटोजोआ जीवों में प्रजनन

प्रोटाजोआ जीवों में लैंगिक (Sexual) तथा अलैंगिक (Asexual) दोनों प्रकार से प्रजनन होता है। प्लाज्मोडियम (Plasmodium), टैक्सोप्लाज्मा, एपिकाम्लेक्सा आदि में युग्मनज (Zygote) के निर्माण एवं संकुचन से युग्मक (Oocyst) का निर्माण लैंगिक प्रजनन द्वारा होता है।

अमीबा एवं अन्य परजीवी प्रोटोजोआ में द्विविभाजन (Binary Fission), बहुविभाजन (Multiple Fission) अथवा मुकुलन (Budding) के द्वारा अलैंगिक प्रजनन होता है।

प्रोटोजोआ जीवों की शारीरिक संरचना

प्रोटोजोआ उपजगत के अन्तर्गत सम्मिलित जन्तु अत्यंत प्रारम्भिक, सूक्ष्म, एककोशिकीय एवं यूकैरियॉटिक होते हैं। इन जन्तुओं में पादप, कवक एवं शैवालों की कोशिकाओं की भाँति कठोर कोशिका भित्ति (Rigid cell wall) का अभाव होता है परन्तु इसके स्थान पर कोशिका झिल्ली की प्रत्यास्थ (Elastic) संरचनाओं का आवरण होता है।

ये संरचनाएँ कोशिका के संचलन में सहायक होती हैं। इन संरचनाओं को कूटपाद (Pseudopodia), कशाभिका (Flagelle) अथवा पक्ष्माभिका (Cillia) कहा जाता है।

कुछ प्रोटोजोआ जन्तुओं में एक संयुक्त झिल्ली का आवरण पाया जाता है, जिसे पतली झिल्ली (Pellicle) कहा जाता है।

प्रोटोजोआ जीवों में ऊतकों (Tissues) एंव अंगों का अभाव होता है परन्तु कुछ विशिष्ट आकृतियाँ पायी जाती हैं, जिन्हें अंगक (Organelle) कहते हैं। इन जीवों की कोशिका में केन्द्रक एक झिल्ली  के आवरण से ढका रहता है।

प्रोटोजोआ जीवों के शरीर में रसधानियाँ (Vacuoles) पायी जाती हैं। रसधानी एक झिल्ली युक्त कोशिकांग है जो सभी पादप एवं कवक कोशिकाओं में तथा कुछ प्रोटिस्ट एवं जन्तु कोशिकाओं में पाया जाता है।

रसधानियों में बंद कोष्ठक स्थित होते हैं, जिनमें जल जैविक-अजैविक अणु तथा एन्जाइम्स (Enzymes) भरे होते हैं। इन रसधानियों का निर्माण अनेक तरल युक्त सूक्ष्म कोष्ठकों के मिलने से होता है, जिन्हें पुटिका (Vesicle) कहा जाता है।

रोग उत्पन्न करने वाले प्रोटोजोआ जीव

प्रोटोजोआ  सम्बंधित रोग
प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम, पी. मलेरी, पी. ओवेल. पी. विवैक्स मलेरिया (Malaria)
एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका पेंचिश (Amoebic Dysentery)
एण्टअमीबा जिन्जीवैलिस पायरिया (Pyorrhea)
ट्रिपेनोसोमा गैम्बियन्स सुषुप्ति रोग (Sleeping Sickness), गैम्बियन ज्वर (Gambian Fever)
लीश मैनिया डोनोवानी टै  कालाजार (Black Fever)
टैक्सोप्लाज्मा गोन्डाई टैक्सोप्लाज्मोसिस (ज्वर, शरीर दर्द, थकान आदि)
ट्रिपेनोसोमा ब्रुसेई रोडेसिएन्स अफ्रीकन ट्रिपेनोसोमिएसिस

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