ऊष्मागतिकी के नियम, ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Law of Thermodynamics)

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of thermodynamics)

यह ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है। इस नियम के अनुसार किसी निकाय को दी गई ऊर्जा का कुछ अंश उस निकाय की आंतरिक ऊर्जा की वृद्धि में खर्च होता है तथा शेष भाग निकाय द्वारा परिवेश पर कार्य करने में।

नोट: ऊष्मा और कार्य ऊष्मागतिकी में ऊर्जा स्थानांतरण की विधि है। ऊष्मा तथा कार्य के प्रभाव से निकाय की आंतरिक ऊर्जा परिवर्तित होती है।

आंतरिक ऊर्जा किसे कहते हैं  (Internal Energy in Hindi)

कोई भी निकाय/पदार्थ अनगिनत अणुओं से मिलकर बना होता है, इन्हीं समस्त अणुओं की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जा का योग ही निकाय पदार्थ की आंतरिक ऊर्जा कहलाती है।

ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second law of thermo-dynamics)

जब तक कोई बाह्य कार्य नहीं किया जाता है, ठंडी वस्तु से किसी गर्म वस्तु की ओर ऊष्मा का स्थानांतरण नहीं होता है. केल्विन और प्लांक के अनुसार ऐसा संभव नहीं है कि ऊष्मा की पूरी मात्रा को कार्य में परिवर्तित कर दिया जाए।

ऊष्मागतिक निकाय (Thermodynamic System)

कोई भी ऐसा निकाय (System) जिसकी अवस्था ताप, दाब और आयतन के पदों में व्यक्त की जा सके, ‘ऊष्मा गतिक निकाय’ कहलाता है। उदाहरणः सिलिंडर में भरी हुई गैस।


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