वैद्युत विभवान्तर तथा वैद्युत विभव किसे कहते हैं, परिभाषा, मात्रक और सूत्र

किसी वैद्युत आवेश द्वारा उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है :

(i) वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता वेक्टर E के द्वारा तथा (ii) वैद्युत विभव V के द्वारा।

वेक्टर E एक सदिश राशि है जबकि V एक अदिश राशि है तथा ये दोनों ही वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु के लाक्षणिक गुण हैं।

वैद्युत विभव किसे कहते हैं

वैद्युत विभव वह भौतिक राशि है जो दो आवेशित वस्तुओं के बीच आवेश के प्रवाह की दिशा को निर्धारित करती है। यदि दो वस्तुओं के वैद्युत विभव बराबर हैं, भले ही उन पर आवेश की मात्रा कितनी भी हो, तो उन्हें सम्पर्क में लाने पर आवेश का प्रवाह बिल्कुल भी नहीं होगा।

विभव एक अदिश राशि है। परन्तु यह बिंदु की स्थिति का फलन होता है, इसका मात्रक जुल प्रति-कुलाम अथवा वोल्ट होता है तथा इसका विमीय समीकरण [M1L2T-3A-1] होता है.

मान लो कि +q एक (धन) आवेश है जिसके कारण उसके चारों ओर एक वैद्युत क्षेत्र है (चित्र)। यदि इस वैद्युत क्षेत्र में कोई अन्य धन परीक्षण-आवेश +q0 हो तो उस पर +q के कारण वैद्युत प्रतिकर्षण-बल F लगेगा। अत: यदि हम धन परीक्षण-आवेश को बिन्दु B से बिन्दु A तक ले जायें तो हमें प्रतिकर्षण-बल के विरुद्ध कार्य करना होगा।

वैद्युत विभवान्तर किसे कहते हैं

वैद्युत क्षेत्र में किसी धन परीक्षण-आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किये गये कार्य तथा धन परीक्षण-आवेश के मान की निष्पत्ति को उन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर (potential difference) कहते हैं। (इस परिभाषा में यह माना गया है कि धन परीक्षण-आवेश इतना अल्प है कि उसके स्वयं के कारण वैद्युत क्षेत्र में कोई परिवर्तन नहीं होता।) अत: यदि धन परीक्षण-आवेश q0 को बिन्दु B से बिन्दु A तक ले जाने में किया गया कार्य W हो, तो बिन्दुओं A व B के बीच वैद्युत विभवान्तर

VA – VB = W/q0

विभवान्तर का SI मात्रक वोल्ट है, जिसे ( v ) से व्यक्त करते हैं।

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