श्लेष अलंकार क्या है – परिभाषा , उदाहरण | Slesh Alankar in hindi

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श्लेष अलंकार क्या है

जब एक शब्द का प्रयोग एक बार हो और उसका अर्थ एक से अधिक हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

श्लेष का अर्थ है चिपका हुआ है। अतः यहाँ एक शब्द से, एक से अधिक अर्थ चिपके होते हैं। श्लेष दो प्रकार का होता है- शब्द श्लेष तथा अर्थश्लेष।

शब्द श्लेष में एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। यदि उस शब्द विशेष के स्थान पर उसका पर्यायवाची शब्द प्रयोग किया जाए तो वह श्लेष नहीं रहता जबकि अर्थ श्लेष में कई शब्दों का एक ही अर्थ रहता है जो दो या दो से अधिक पक्षों पर लागू होता है और उनके पर्याय शब्दों पर भी लागू रहता है। जैसे-

“रावन सिर सरोज वनचारी।
चल रघुवीर सिली मुख धारी।।”
सिलीमुख-बाण
-भौंरा।

यहाँ ‘सिली मुख’ का प्रयोग बाण तथा भौंरा दो अर्थों में है। इसलिए चमत्कार है। इसी शब्द का पर्याय प्रयुक्त होने पर यह अर्थ सौन्दर्य नष्ट हो जाएगा।

श्लेष अलंकार उदाहरण

“जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारौ करै, बढै अँधेरो होय।

यहाँ बारे (बचपन, जलाना) तथा बढ़े (बड़ा होने पर, बुझने पर) के कारण सुन्दर अर्थ श्लेष अलंकार है।

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